दीपिका के हीरो विक्रांत ने बयां किया हाल

टीवी पर ऐक्टिंग का जलवा बिखेर‌‌ने के बाद विक्रांत ने फिल्मों में किस्मत आजमाई। इसके अलावा तीसरे पर्दे पर भी दमदार ऐक्टिंग दिखा चुके विक्रांत इन दिनों दीपिका पादुकोण के साथ 'छपाक' फिल्म में लीड रोल को लेकर चर्चा में हैं। करियर पर विक्रांत से हुई खास बातचीत: 'छपाक' के लिए हामी भरने की क्या खास वजह रही है? अगर मेघना गुलजार आपको अपनी फिल्म में एक सीन करने भी बुलाए तो यह सौभाग्य है। मुझे तो पूरी फिल्म में एक किरदार निभाने का मौका दिया है। मैं बेवकूफ होता ‌‌‌‌अगर उन्हें न कहा होता। मुझे खुशी है कि फिल्म की चर्चा इतनी जोर-शोर से हो रही है। फिल्म में जो हमने मुद्दा उठाया है, उस पर भी लोग बात कर रहे हैं। आज लोग एसिड वॉयलेंस को लेकर जागरुक हैं। मैं ऐसी फिल्म का हिस्सा बनकर अपना दायित्व निभाने की कोशिश में हूं। मैं जिन प्रॉजेक्ट्स से जुड़ा वे कहीं न कहीं सोशल मुद्दों पर आधारित रही हैं। टीवी पर बालिका वधू शो चाइल्ड मैरिज पर था, डेथ इन द गंज मेंटल हेल्थ पर और अब छपाक भी एक ऐसा मुद्दा है, जिसपर हमें बात करने की जरूरत है। मैं खुद को लकी मानता हूं कि ऐसी फिल्मों का हिस्सा बनने का मौका मिला है। अगर आगे भी ऐसे मौके मिलते रहें तो मैं महिलाओं की सुरक्षा पर बनी फिल्म का हिस्सा बनना चाहूंगा। सोशल मीडिया पर आप काफी लो प्रोफाइल ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌रहते हैं। मैं चाहता हूं कि खुद की ब्रैंडिंग करने के बजाय मैं अपने‌ काम पर फोकस करूं ताकि लोगों के पास मेरा काम बोले। मुझे ऐसा बिल्कुल नहीं लगता है कि सोशल मीडिया की वजह से आपको काम मिलता है या फिर आप ज्यादा ऐक्टिव हैं, तो लोग आपकी फिल्में देखने जाएंगे। अगर आपने अच्छी फिल्म बनाई है तो लोग जाकर आपको देखेंगे। दूसरा कारण‌ यह है कि सोशल मीडिया पर मुझे काफी निगेटिविटी महसूस होती है। ऐसा नहीं है कि मैं सोशल मीडिया से भागता रहा हूं। पहले मैंने कोशिश की थी लेकिन मैं बहुत सेंसेटिव इंसान हूं और लोगों के कॉमेंट्स और ट्रोलिंग से मुझे बहुत फर्क पड़ता था। इसलिए मैं अब इनसे दूर रहता हूं। वैसे इंस्टाग्राम पर तस्वीरें शेयर करता हूं लेकिन उससे ज्यादा कुछ भी नहीं। कहीं इस बात का डर नहीं था कि दीपिका से ओवरशैडो हो‌ सकते हैं? नहीं बिल्कुल भी नहीं। मैं अमूमन इन सब‌ बातों पर ध्यान नहीं देता।‌‌‌‌‌‌‌ जब 'दिल धड़कने दो' साइन की थी तो यह नहीं सोचा था कि बड़ी स्टारकास्ट‌ है, तो मेरा क्या होगा। वहीं 'डेथ इन गंज' के दौरान भी इतना नहीं सोचा। देखिए, आप ये सोचने लगें कि ओवरशैडो हो जाएंगे तो फिर काम किस तरह कर पाएंगे। आपको दूसरों के प्रेजेंस से क्या मतलब? आपको जो काम मिला है, वह करें और घर जाएं। टीवी से जंप करने के बाद आपको बहुत सी फिल्मों के ऑफर्स मिल‌ रहे हैं। ऐसा लगता है कि आपने इंडस्ट्री में अपनी जमीन तलाश ली है? ऐसा कहना अभी जल्दबाजी होगी। जब मैंने दस साल काम करने के बाद टीवी छोड़ा था, तो उस वक्त खुद को फिल्मों के लिए भी दस साल देने का वादा किया था। टीवी में एक दशक बिताने के बाद कहीं न कहीं उसका रिजल्ट पाया है। ठीक वैसे ही फिल्मों में इतना समय दूंगा और अगर इन दस सालों में बात नहीं बनती है, तो कुछ और कर लेंगे। अभी तो 6 साल पूरे हुए हैं चार साल बाकी है। टीवी ऐक्टर को लेकर इंडस्ट्री में एक स्टीरियोटाइप रहा है उसे आपने तोड़ा है। आपके लिए कितना मुश्किल रहा सफर? मेरे अंदर इस बात की कसक रही है कि एक टीवी ऐक्टर कभी फिल्मों में सफल नहीं हो सकता है। मैं जब भी उस वक्त अपने आसपास के लोगों से डिसकस किया करता था कि फिल्मों में काम करूंगा तो वे सभी मुझे यह कह कर निराश कर देते थे कि फिल्मों में टीवी ऐक्टर्स को मौका नहीं मिलता है। वे यहां तक कहते थे कि तू भूल जा, फिल्म का ख्वाब छोड़ दे और टीवी कर पैसे कमा। मैं उन्हें दिल से शुक्रिया कहना चाहता हूं क्योंकि जिसे करने से लोग आपको रोकते हैं, वह आप ज्यादा जिद से करते हो। मैंने यहां आने से पहले भी कोई जल्दबाजी नहीं की है। मैं इसे टेस्ट मैच की तरह खेल रहा हूं। नेपोटिज़म एक बड़ा मुद्दा रहा है। आपकी क्या राय है? नेपोटिज़म यहां है, इस बात में कोई दो राय नहीं है। दरअसल यह तो हर इंडस्ट्री में है। आज‌ से तीन साल पहले इस मुद्दे पर बात‌ें शुरू हुईं थी और आज‌‌तक लोग इस पर बात कर रहे हैं क्योंकि यह वाकई में है। अगर मैं यह कह रहा हूं कि नेपोटिज़म यहां है, तो यह भी बात मानता हूं कि लोगों को फ्री और बराबर मौके भी मिले हैं। मैं किसी फिल्मी खानदान से नहीं हूं, मेरे लिए कोई ऑफिस की लाइनों में खड़ा नहीं रहता है या मुझे घर आकर स्क्रिप्ट सुनाया जाता है। मैंने‌ ऑडिशन में अपने जूते घिसे हैं‌‌ और आज यहां तक पहुंचा हूं।


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