चेतन भगत ने कहा- मुझे सुशांत केस में कुछ तो गड़बड़ लगती है

यंग इंडिया के लेखक माने जाने वाले चेतन भगत की किताबें रिलीज से पहले ही बेस्टसेलर बन जाती हैं। हाल ही में अपनी नई किताब 'वन अरेंज्ड मर्डर' की घोषणा करने वाले चेतन का कहना है कि सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद युवा निराश हैं। वह खुद को भी लेखन की दुनिया में सुशांत की तरह आउटसाइडर मानते हैं। चेतन ने नवभारत टाइम्‍स से अलग-अलग मुद्दों पर खास बातचीत की। पढ़ें, बातचीत के अंश: सुशांत सिंह राजपूत की असामयिक मौत को लेकर काफी विवाद हो रहा है। आपका क्या मानना है? 'जब कोई सुशांत सिंह राजपूत जैसा केस इतने बड़े लेवल पर मीडिया में आ जाता है तो उसे न्याय मिल ही जाता है, क्योंकि इतने सारे लोगों का ध्यान उस केस पर चला जाता है। ऐसे में गड़बड़ करने के चांस कम हो जाते हैं। मुझे लगता है कि सुशांत को अब न्याय मिल ही जाएगा। इस केस की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है तो उन्हें जांच करने देना चाहिए। वैसे कहीं ना कहीं, कुछ तो गड़बड़ मुझे भी लगती है सुशांत के केस में। किताब लिखने से पहले मैं कई केस स्टडी करता हूं। मैं लगभग 100 से भी ज्यादा केस स्टडी कर चुका हूं अब तक। सुशांत के केस को देखकर लगता है कि इसमें कुछ गड़बड़ हुई है। अब क्या गड़बड़ हुई है, यह तो जांच के बाद ही पता लगेगा।' सुशांत के अलावा जो दूसरा मुद्दा इस समय सबसे ज्यादा चर्चा में है, वह है नेपोटिजम। क्या आप मानते हैं कि लेखन के क्षेत्र में भी एक-दूसरे को फेवर करने जैसा कुछ होता है? 'थोड़ा बहुत तो हर जगह ही है और पहले भी था। नेपोटिजम को अगर आप कहें कि एक-दूसरे की जान पहचान से काम होना तो वह हर जगह ही है। यहां भी आप देखें कि जैसे लिटरेचर फेस्टिवल है तो वे आपस की जान-पहचान के लोगों को ही बुलाते रहते हैं लेकिन लेखन ऐसी चीज है जो ट्रांसफर होना मुश्किल होता है। जरूरी नहीं कि लेखक का बेटा लेखक ही बने। ऐक्टर के बेटे का ऐक्टर बनना फिर भी आसान लगता है क्योंकि उसमें शक्ल सूरत काफी मायने रखती है। फिर जब स्टार का बच्चा आता है तो वह स्क्रीन पर स्टार की झलक दिखाता है, वह कहीं ना कहीं आसान होता है। इसलिए लेखन के क्षेत्र में वह मदर-फादर वाला नेपोटिजम तो नहीं है लेकिन हां, जान-पहचान वाला नेपोटिजम तो होता है। मैं तो यह सब नहीं करता लेकिन होता तो है ही।' कहा जाता है कि आपकी किताबें सरल अंग्रेजी में होने की वजह से आम लोग उन्हें पढ़ पाते हैं। आप सोशल मीडिया पर भी आम लोगों की बातें करते हैं। कहीं इसी वजह से तो आपको खास लेखकों की जमात में शामिल नहीं किया जाता है? 'मैं अक्सर सोशल मीडिया पर अपनी राय रखता हूं जबकि ज्यादातर सिलेब्रिटीज या बड़े लोग पेचीदा मुद्दों पर अपनी राय नहीं रखते हैं। एक लेखक का तो काम ही है अपनी राय रखना। कई बार मैं देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय रखता हूं तो हो सकता है कि इस वजह से कुछ लोग मुझे नापसंद करते हों। वैसे ऐसा होना तो नहीं चाहिए। हो सकता है कि आपकी राय किसी मुद्दे पर अलग हो लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि मैं आपसे नफरत करूं। हो सकता है कि हम दोनों अलग-अलग सोच रहे हों। मैं आपसे कुछ सीख सकता हूं और आप मुझसे कुछ सीख सकते हैं लेकिन यह मनुष्य की आदत है कि लोग उन्हें पसंद नहीं करते हैं जिनके विचार उनसे नहीं मिलते हैं।' आपको यह सुनकर कैसा लगता है, जब कहा जाता है कि तमाम गैर-अंग्रेजी भाषी पाठक अपनी पहली अंग्रेजी किताब के रूप में चेतन भगत का नॉवल पढ़ते हैं? 'मुझे यह अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि लगती है। आज भी ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब लोग मेरे सोशल मीडिया पर यह कॉमेंट नहीं करते कि सर हमने आपकी वजह से किताबें पढ़ना शुरू किया। आपकी वजह से हमें खुद में कॉन्फिडेंस आया।' आपकी किताबें रोमांटिक जॉनर की होती हैं लेकिन 'रूम नंबर 105' और 'वन अरेंज्ड मर्डर' दोनों मर्डर मिस्ट्री लग रही हैं। क्या आप अपना जॉनर बदल रहे हैं? 'जी हां, वक्त के साथ आप जो काम कर रहे हैं, उसे बदलना पड़ता है। मेरी किताबें ज्यादातर युवा पढ़ते हैं लेकिन अब युवाओं में एकाग्रता और ध्यान थोड़ा कम हो गया है। आजकल वे वीडियो कॉन्‍टेंट इतना देख रहे हैं कि किताब वे तभी पढ़ेंगे, जब वह बहुत ज्यादा दिलचस्प होगी। जब किताब का प्लॉट ऐसा होगा कि उन्हें पता करने की जिज्ञासा हो कि मर्डर किसने किया है? यह जो थ्रिलर स्टोरी होती है, वह रोमांटिक से ज्यादा कैचिंग होती है। फिर ऑडियंस का टेस्ट भी बदला है। अब वेब सीरीज भी ज्यादातर थ्रिलर कैटिगरी की ही होती हैं तो मुझे लगा कि ऐसी किताब लिखो कि यंगस्टर्स मोबाइल छोड़कर किताब पढ़ें लेकिन इसमें भी लव स्टोरी है। यह प्योर क्राइम की किताब भी नहीं है। आखिरकार यह चेतन भगत की ही किताब है।' कुछ समय पहले हमारे साथ इंटरव्यू में कहा था कि मैं एक साल फिल्म लाना चाहता हूं और एक साल किताब लेकिन हाफ गर्लफ्रेंड के बाद से किताबें तो लगातार आ रही हैं मगर फिल्में नहीं? 'अब तो यह कोरोना आ गया है बीच में। हम लोग एक फिल्म की घोषणा करने के बहुत करीब थे लेकिन फिर कोरोना की वजह से लॉकडाउन हो गया। अब आप फिल्मों को लेकर 2020 को ना ही गिनो तो अच्छा है। ऐसे समय में किताब फिर भी लिखी जा सकती है लेकिन फिल्म नहीं बन सकती है। फिर अब तो वेब सीरीज भी आ गई हैं। वह भी मुझे दिलचस्प लगती हैं। वैसे मेरा इस बार वेब सीरीज का ज्यादा मन है।' आजकल किताबों में युवाओं की दिलचस्पी कम हो रही है। उसे कैसे बरकरार रखा जाए? 'किताबें हमेशा रहेंगी क्योंकि टीवी आया, रेडियो आया, इंटरनेट आया मगर किताबों ने अपनी जगह बनाए रखी। हां, यह है कि किताबों को भी थोड़ा बदलना पड़ेगा। जो बच्चों के काम की किताबें हैं, उनको प्रमोट करने का अच्छा तरीका लाना पड़ेगा और मेरे जैसे लेखकों को मेहनत करते रहना पड़ेगा। हम यह नहीं कह सकते हैं कि मेरी किताबें तो बिकने लगी हैं तो अब कुछ नहीं करना है। अब यह जरूरी भी है क्योंकि अब जैसे कि सुशांत एक प्रेरणा थे भारत के लिए लेकिन अब जब वह चले गए हैं तो भारत के बच्चों को दुख पहुंचा है। मैं मानता हूं कि जब मैं अपनी किताब लॉन्च करता हूं और लोगों को दिखा देता हूं कि कोरोना जैसे टाइम में, यूट्यूब-नेटफ्लिक्स के टाइम में मैं किताब ला सकता हूं तो कहीं ना कहीं लोग प्रेरित होते हैं अपने-अपने क्षेत्र में।' पिछले दिनों सर्वे आया था कि लोग किताबें खरीदते तो हैं लेकिन कुछ पन्ने पलटकर छोड़ देते हैं? 'यह सच है कि अब लोग एक-दो मिनट के विडियो देख रहे हैं तो उनका ध्यान लगना कम हो गया है। मैं इसीलिए साधारण इंग्लिश में अपनी बात लिखता हूं और उसे दिलचस्प बनाने की कोशिश करता हूं। हालांकि, यह बात सही है कि अब लोगों का ध्यान कम लगने लगा है।' आपकी किताबें पोस्टर रिलीज के दिन ही बेस्टसेलर बन जाती हैं लेकिन तमाम लोग आपको साहित्यिक लेखक की श्रेणी में नहीं रखते हैं। इसकी क्या वजह है? 'आपने पूछा ना अभी नेपोटिजम पर सवाल तो वही है। उनको अपने जैसे ही लोग चाहिए। अगर मैं उनके जैसे बैकग्राउंड से आता, उनके तरीके से बात करता, उनके तरीकों से किताबों का प्रमोशन करता तो शायद ज्यादा स्वीकार करते मुझे। अब मैं हूं बिल्कुल अलग और मैं किसी घराने से भी नहीं आया हूं जिस घराने से वे लोग लेखक के आने की उम्मीद करते हैं। कुछ ऐसा ही सुशांत के साथ था, अब क्या करें इसमें। कोई बात नहीं। मैंने दर्शकों के दिल जीते हुए हैं ना तो इन आलोचकों को अगले जन्म में जीत लेंगे।'


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