मूवी रिव्यू: हंसाती कम है, गोविंदा की याद ज्‍यादा द‍िलाती है वरुण की 'कुली नंबर 1'

कहानी साल 1995 में डेविड धवन ने गोविंदा, करिश्‍मा कपूर, शक्‍त‍ि कपूर और सदाशिव अमरापुरकर जैसे मंझे हुए कलाकारों के साथ 'कुली नंबर-1' बनाई थी। 2020 में एक बार फिर डेविड धवन वही कहानी लेकर आए हैं। फिल्‍म रीमेक है, लेकिन डेविड धवन या उनके लेखक साथी रूमी जाफरी ने कहानी को बदलने की जरा भी जरूरत नहीं समझी है। कहानी हूबहू वही है, जो पिछली फिल्‍म की थी। एक पंडित है, जो एक अमीर शख्‍स के गुमान को तोड़ना चाहता है। एक कूली है, जिसे एक अमीर लड़की से पहली नजर का प्‍यार होता है। पंडित और कूली मिलकर झूठों का पुलिंदा बनाते हैं। एक ही इंसान का डबल रोल दिखाकर झांसा देते हैं और कॉमेडी पकाने की कोश‍िश करते हैं। अंत में गुमान टूटता है। प्‍यार मिलता है और खूब सारे गाने-बजाने के बाद हैप्‍पी एंडिंग होती है। समीक्षा डेविड धवन और उनके स्‍क्रीनप्‍ले राइटर रूमी जाफरी ने 1995 की फिल्‍म को 2020 में ग्रैंड बनाने की कोश‍िश की है। पहली फिल्‍म से ज्‍याद बड़ा घर, ज्‍यादा बड़ी गाड़ी, खूब सारा नाच गाना, हाई पिच म्‍यूजिक और आज के दौर के हिसाब से थोड़े बहुत डायलॉग्‍स। कुल मिलाकर 2020 की 'कूली नंबर-1' में पुरानी बोतल में नई शराब है। यानी जो पहली नजर में आपको अपील तो करती है, लेकिन न इसका खुमार चढ़ता है और न ही आपको मजा आता है। वरुण धवन ने इस फिल्‍म के जरिए गोविंदा के अंदाज में उतरने की पूरी कोश‍िश की है, लेकिन वह इसमें सफल नहीं होते हैं। 1995 की कुली नंबर-1 एक ऐसी फिल्‍म है, जिसे सिनेमाघर से लेकर टीवी तक हर किसी ने देखा है। इसलिए बतौर दर्शक आप कहानी जानते हैं। आगे क्‍या घटना होने वाली है, यह भी आप जानते हैं। क्‍या डायलॉग्‍स बोले जाएंगे, इसका भी अंदाजा रहता है। ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि इस फिल्‍म को पहले से अध‍िक मजेदार बनाया जा सके, लेकिन अफसोस कि ऐसा होता नहीं है। हर मौके पर आप यही सोचते रहते हैं कि पहले वाली ज्‍यादा अच्‍छी थी। हालांकि, वरुण धवन ने अपने हिस्‍से खूब मस्‍ती जरूर की है। वह फिल्‍म में ऐक्‍ट‍िंग करने से ज्‍यादा फिल्‍म को एंजॉय करते हुए नजर आते हैं। वरुण ने फिल्‍म में अमिताभ बच्‍चन से लेकर नाना पाटेकर तक की मिमिक्री की है। लेकिन अंत में वह मिथुन चक्रवर्ती पर आकर ठहरते हैं। सारा अली खान के हिस्‍से करने को बहुत कुछ था, लेकिन वह सिर्फ सुंदर दिखी हैं। श‍िखा तलसानिया का भी यही हाल है। जबकि साहिल वैद्य राजू के दोस्‍त दीपक के किरदार में ठीक-ठाक लगे हैं। कादर खान की जगह इस बार परेश रावल हैं। परेश रावल ने जरूर पिछली फिल्‍म से अलग अंदाज दिखाने की कोश‍िश की है और वह इसमें जमते हैं। गोवा के एक बिजनसमैन के तौर पर उनकी होश‍ियारी, पिछली फिल्‍म के होश‍ियारचंद को पीछे तो नहीं छोड़ती, लेकिन उसके समांतर जरूर चलती है। 'कुली नंबर-1' कॉमेडी फिल्‍म है। लेकिन बतौर दर्शक आपको बहुत ज्‍यादा हंसी नहीं आती। 90 के दशक की कहानी को मौजूदा दौर के हिसाब से ग्रैंड बनाया गया है, इसलिए पर्दे पर सबकुछ बड़ा और सुंदर जरूर दिखता है। राजपाल यादव अच्‍छे हैं, लेकिन वह भी शक्‍त‍ि कपूर से बेहतर नहीं कर पाए हैं। हां, कुछ हद तक राजपाल और जॉनी लीवर हंसाने में कामयाब जरूर होते हैं। नब्‍बे के दशक में गोविंदा और कादर खान की जोड़ी में गजब की कैमिस्‍ट्री थी। कूली नंबर-1 में भी वह बात दिखी थी। वरुण धवन और परेश रावल के बीच वह कैमिस्‍ट्री मिसिंग है। फिल्‍म की कहानी आगे तो बढ़ती है, लेकिन वह असर नहीं छोड़ती। साहिल वैद्य और श‍िखा तलसानिया की प्रेम कहानी जबरन ठूसी गई दिखती है। जबकि इस बार स्‍क्रीनप्‍ले की रफ्तार भी थोड़ी तेज दिखती है। फिल्‍म के संगीत की बात करें तो यह सुनने लायक हैं। वरुण धवन अच्‍छे डांसर हैं और उन्‍होंने अपना काम बखूबी किया है। सारा और वरुण की जोड़ी गानों में अच्‍छी लगती है। कई गाने ऐसे हैं, जो आपको नचाएंगे। 'हुस्‍न है सुहाना' का रीमेक बढ़‍िया बना है, लेकिन 'मिर्ची लगी' गाने को और बेहतर बनाया जा सकता था। कोरोना संक्रमण के दौर में वरुण धवन की यह फिल्‍म ओटीटी प्‍लेटफॉर्म पर र‍िलीज हुई है। लिहाजा, प्रीमियर सब्‍सक्रिप्‍शन वाले दर्शक टाइमपास के लिए इसे देख सकते हैं। लेकिन यदि यह फिल्‍म सामान्‍य दौर में थ‍िएटर पर रिलीज होती तो फेस्‍ट‍िव सीजन में पहले दो दिन के बाद कमाई पर साफ असर दिखता। कुल मिलाकर, त्‍योहार के माहौल में यदि टाइमपास करना चाहते हैं तो 'कुली नंबर-1' देख सकते हैं। बाकी दोस्‍तों और परिवार के साथ अच्‍छा टाइम स्‍पेंड करना चाहते हैं तो कई और दूसरे विकल्‍प भी हैं।


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