बॉलिवुड के बेहद टैलेंटेड ऐक्टर माने जाने वाले को पहली सफलता साल 1998 में राम गोपल वर्मा के डायरेक्शन में बनी फिल्म '' के के किरदार के कारण मिली थी। इस किरदार को निभाने के बाद मनोज बाजपेयी लोगों की नजर में चढ़ गए और उन्होंने एक के बाद एक बेहतरीन फिल्में देनी शुरू कर दीं। अपने इस किरदार के बारे में बात करते हुए मनोज ने कहा, 'सत्या को केवल एक गैंगस्टर मूवी की तरह याद नहीं किया जाता बल्कि एक कल्ट फिल्म माना जाता है। इसे बेहतरीन तरीके से बनाया गया था। यह एक ऐसी फिल्म थी जिसमें गैंगस्टर्स को एक इंसान के नजरिए से दिखाया गया था और इसी कारण यह ऑडियंस को पसंद आई थी।' आगे मनोज ने कहा, 'मुझे लगता है कि भीखू महात्रे ने मुझे करियर में बहुत कुछ दिया जिसके कारण में इतने सालों तक टिका रहा और अभी भी आगे बढ़ रहा हूं। मैं खुद को लकी मानता हूं मुझे ऐसा रोल निभाने को मिला जिसने सबकुछ बदल दिया। यह देखकर अच्छा लगता है कि लोग अभी भी भीखू महात्रे के किरदार को याद करते हैं।' बता दें कि मनोज बाजपेयी ने 'सत्या' में काम करने से पहले 6 फिल्मों और कई टीवी शोज में काम किया था। लेकिन भीखू महात्रे के किरदार के बाद लोगों ने उन्हें नोटिस करना शुरू कर दिया। इस किरदार के लिए मनोज बाजपेयी को बेस्ट सपोर्टिंग ऐक्टर का नैशनल फिल्म अवॉर्ड भी मिला था।
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