'फ्लाइट' मूवी रिव्‍यू: कहानी में रोमांच है, बस कुर्सी की पेटी बांध लें

फिल्‍म की शुरुआत एक विमान हादसे से होती है। इसमें 70 लोगों की जान गई है। जांच चल रही है। रणवीर मल्‍होत्रा (मोहित चड्ढा) आदित्‍यराज एविएशन कंपनी के मालिक हैं। पता चलता है कि हादसा विमान में खराबी के कारण हुई थी। रणवीर अपनी ही कंपनी में मौजूद भ्रष्‍ट लोगों के घोटाले का पर्दाफाश करना चाहता है। लेकिन एक साजिश रची जाती है। रणवीर को प्राइवेट जेट से दुबई जाना है। उसका विमान हवा में ही गायब हो जाता है। विमान में जब रणवीर की नींद खुलती है, तो पता चलता है कि क्रू मेंबर और पायलट को मार दिया गया है। विमान ऊपर आसमान में है और ऑटो पायलट मोड में हैं। कहानी आगे रणवीर के विमान में स्‍ट्रगल और हीरोइज्‍म के साथ सुरक्ष‍ित वापस लौटने की है। रिव्‍यू 'फ्लाइट' फिल्‍म की शुरुआत एविएशन इंडस्‍ट्री में होने वाले संभावित घोटालों से होती है। कमाई के लिए मासूम लोगों की जान की परवाह नहीं करना आपको कुरेदता है। लेकिन फिल्‍म इस विषय को सिर्फ छूकर आगे बढ़ जाती है। फिल्‍म ऐक्‍शन-थ्र‍िलर है और जब कहानी आगे बढ़ती है तो यह आपको बांधती है। 'फ्लाइट' पूरी तरह से मोहित चड्ढा के इर्द-गिर्द है। उन्‍हें सबसे ज्‍यादा स्‍क्रीन टाइम भी मिला है। ऐसे में 'जी सिने स्‍टार्स की खोज' से निकलकर आए इस ऐक्‍टर के पास करने को बहुत कुछ है। उनका किरदार रणवीर मल्‍होत्रा अमीर है। उसके महंगे शौक हैं। प्राइवेट जेट, महंगी शराब, बड़ा घर। यह किरदार आपको प्रभावित करता है। लेकिन फिल्‍म की शुरुआत में ही इन बातों पर इतना जोर दिया गया है कि आप एक समय के बाद ऊब जाते हैं और इससे आगे बढ़ना चाहते हैं। कहानी आगे बढ़ती है, रोमांच जगता है। लेकिन मोहित चड्ढा कई बार जरूरत से ज्‍यादा लाउड दिखते हैं। रणवीर मल्‍होत्रा का किरदार हिंदी फिल्‍मों, खासकर अमिताभ बच्‍चन और शाहरुख खान से बहुत प्रेरित है। यह बात उसकी डायलॉग डिलिवरी से लेकर एक्‍सप्रेशंस और यहां तक कि आवाज में भी झलकती है। वह हर बात पर मजाक करता है। यहां तक कि जब उसे यह एहसास हो जाता है कि फ्लाइट में अकेला है और उसकी जान को खतरा है, तब भी वह इसी अंदाज में रहता है। एक बिना पायलट वाले फ्लाइट में अकेले फंसे इंसान के लिए जूझने के लिए बहुत कुछ है। लेकिन रणवीर मल्‍होत्रा का किरदार उस संघर्ष की बजाय हंसी-मजाक में ज्‍यादा समय बिताता है। मोहित चड्ढा के अलावा फिल्‍म में पवन मल्‍होत्रा, जाहिर हुसैन और विवेक वासवानी जैसे मंझे हुए कलाकार भी हैं। उन्‍हें कहानी में जितनी जगह दी गई है, उसमें उन्‍होंने न्‍याय किया है। श‍िबानी बेदी भी अपने छोटे से रोल में जंचती हैं। एक ऐक्‍शन-थ्र‍िलर के लिए बैकग्राउंड स्‍कोर बहुत महत्‍वपूर्ण हो जाता है। ऐसे में स्‍मृति मिनोचा का संगीत समां बांधता है। फिल्‍म की कहानी में दर्शकों को बांधने का दम है। रोमांच है। और यही इसकी जान भी है। शुरुआती आधे घंटे फिल्‍म थोड़ी स्‍लो लगती है, लेकिन एक बार रफ्तार पकड़ने के बाद बतौर दर्शक आप बंध जाते हैं। मोहित चड्ढा के कंधों पर इस पूरी फिल्‍म का भार है। वह इसे बहुत हद तक निभाते भी हैं। लेकिन कई बार यह महसूस होता है कि एडिटिंग टेबल पर थोड़ी और मेहनत की जा सकती थी। स्‍क्रीनप्‍ले को और चुस्‍त बनाया जा सकता था। वीएफएक्‍स पर भारतीय फिल्‍मों के मानदंडों के हिसाब से बढ़‍िया काम किया गया है। फिल्‍म अंत में कुछ सस्‍पेंस छोड़ जाती है, जो असल में 'फ्लाइट 2' की तैयारी है। कुल मिलाकर, इस 'फ्लाइट' की यात्रा रोमांचक तो है, लेकिन इसके लिए आपको खुद भी मानसिक रूप से कुछ तैयारियां करनी होंगी।


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