Video: धीरे-धीरे से मेरी जिंदगी में आना, अब इस गाने को संस्‍कृत में है गुनगुनाना

संस्‍कृति भाषाओं की जननी है। हिंदुस्‍तान की सभ्‍यता और संस्‍कृति में संस्‍कृत है। लेकिन समय की धूल ने इसके प्रचलन को कम कर दिया है। लेकिन अभी भी बहुत से लोग हैं, जो अलग-अलग तरीके से इन गाने को आम जन तक पहुंचाने की कोश‍िश में लगे रहते हैं। इस आशा के साथ कि कभी न कभी तो यह किताबों से निकलकर आम जिंदगी का हिस्‍सा बनेगी। सिंगर पंकज झा ने भी इसी कोश‍िश में एक कदम आगे बढ़ाया है। उन्‍होंने हनी सिंह के पॉप्‍युलर ट्रैक '' को संस्‍कृत में गाया है। सोशल मीडिया पर हो रही है खूब तारीफ यूट्यूब पर 7 अक्‍टूबर को 'नाद म्‍यूजिक' चैनल ने यह गाना अपलोड किया है। गाना यूट्यूब पर तो ज्‍यादा नहीं, लेकिन सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। इस गाने के क्‍ल‍िप्‍स ट्विटर के पन्‍नों पर खूब तैर रहे हैं। यूजर्स पंकज झा और उनके साथ‍ियों की खूब तारीफ कर रहे हैं। पंकज झा और जफर मिर्जा की जोड़ी ने किया तैयार नब्‍बे के दशक के इस सुपरहिट सॉन्‍ग को हनी सिंह ने रीक्रिएट किया था। जबकि गाने के संस्‍कृत वर्जन को पंकज झा ने आवाज दी है। संगीत जफर मिर्जा का है और संस्‍कृत में इसके लिरिक्‍स पंकज झा ने ही लिखे हैं। 2015 में हनी सिंह ने किया था रीक्रिएट साल 2015 में हनी सिंह ने 'आश‍िकी' फिल्‍म के इस मूल गाने को को रीक्रिएट किया था। इसे रितिक रोशन और सोनम कपूर पर फिल्‍माया गया। 'आश‍िकी' फिल्‍म में कुमार सानू ने गाया था गीत मूल रूप से यह गाना 1990 में फिल्‍म 'आश‍िकी' के साथ रिलीज हुआ। इस गाने के असल सिंगर कुमार सानू हैं और इसे फिल्‍म में राहुल रॉय और अनु अग्रवाल पर फिल्‍माया गया। यदि आप भी इस गाने को संस्‍कृत में गुनगुनाना चाहते हैं तो लिरिक्‍स यहां हैं- प्रतिपलं मम संस्मरणं स्मरणे मात्रं त्वम् हृदयस्येमां वार्त्तां कथयान्यहं कम्? तव मम मम तव एक प्राणाः एक प्राणाः किं कुर्याम्? भ्रमाणि नृत्यानि गायानि लिखानि तव कृते किं कुर्याम्? शनैः शनैः मम जीवने आगच्छ शनैः शनैः मम हृदयं चोरय त्वत्तः प्रेम कति मे शुभ्रे! प्रियतमे! सति मेलने जानीहि ज्ञापने सायं हि तत् कार्यं हि तत् त्वां विना सुहृदे! निद्रा नहि त्वारामो नहि त्वां विना सुप्रिये! - 2 तव मम मम तव एक प्राणाः एक प्राणाः किं कुर्याम्? भ्रमाणि नृत्यानि गायानि लिखानि तव कृते किं कुर्याम्? शनैः शनैः मम जीवने आगच्छ शनैः शनैः मम हृदयं चोरय त्वत्तः प्रेम कति मे शुभ्रे! प्रियतमे! सति मेलने जानीहि ज्ञापने तव मम योगः जीवने सुसंयोगः श्रावयामीदमहं तु सर्वान् त्वं मत्तः दूरेSहम् एकाकी सखि रे! प्रार्थये सदा परमेशान् त्वां विना दिनं मम गतमेकवर्षं ममाSभवद् दुर्दशा ममाSभवद् दुर्दशा स्थितिं स्वां सर्वां मामपि ज्ञापय प्रत्यावर्त्तय कदापि त्वं मम पार्श्वे एहि नु... शयेSहं किल खिद्येSहं त्वां विना सुरमे! प्राप्य सर्वं गतं मे त्वां विना सुप्रिये! तव मम मम तव एक प्राणाः एक प्राणाः किं कुर्याम्? भ्रमाणि नृत्यानि गायानि लिखानि तव कृते किं कुर्याम् ? शनैः शनैः मम जीवने आगच्छ शनैः शनैः मम हृदयं चोरय त्वत्तः प्रेम कति मे शुभ्रे! प्रियतमे! सति मेलने जानीहि ज्ञापने


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