रिव्यू: कैसी है MX Player की नई वेब सीरीज 'पति पत्नी और पंगा'

हमारे समाज में जेंडर सेंसिवटी के इशू पर बात किए जाने की बहुत जरूरत है। हालांकि भले ही हमारा समाज कितना भी खुद को मॉर्डन मानता हो लेकिन वह अभी भी LGBTQ के मामले में बात करने को तैयार नहीं दिखता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि आज भी हमारे यहां लैंगिक रुझान के ऊपर लोगों का न केवल मजाक उड़ाया जाता है बल्कि उनका उत्पीड़न भी किया जाता है। MX Player की नई ऑरिजनल वेब सीरीज '' इसी बात पर थोड़े हल्के-फुल्के और थोड़े सीरियस तरीके से बात करती है। कहानी: मुंबई में रीयल एस्टेट ब्रोकर का काम करने वाला एक लड़का है रोमांचक अरोड़ा () और उसकी दुकान पर आती है एक बेहद खूबसूरत लड़की शिवानी भटनागर ()। शिवानी सिंगल है तो उसे कोई कमरा नहीं देना चाहता तब रोमांचक उर्फ रोमू का दोस्त जीतू (गुरप्रीत सैनी) सलाह देता है कि क्यों नहीं रोमू अपने खुद के घर में उसे किराए पर कमरा दे दे। इसके लिए रोमू के पिता और मां भी तुरंत तैयार हो जाते हैं क्योंकि उनको डर है कि कहीं उनका बेटा गे (समलैंगिक) न बन जाए। थोड़े ही दिन में शिवानी और रोमू करीब आते हैं, दोनों के बीच सेक्स होता है और फिर दोनों की शादी। मगर शादी के बाद रोमू को पता चलता है कि शिवानी दरअसल कभी शिव था जिसने सेक्स ट्रांसफॉर्मेशन सर्जरी के जरिए शिवानी का रूप लिया है। बस यहीं से दोनों का रिश्ता स्वर्ग से नर्क बन जाता है। सीरीज का लास्ट आपको देखना चाहिए क्योंकि अच्छा बन पड़ा है। रिव्यू: जेंडर सेंसिटाइजेशन पूरी दुनिया में बेहद सीरियस मसला है और इस सीरीज में इसे खुलकर उठाया गया है। हां, यह बात मानने वाली है कि इस सीरीज में कॉमिक मोमेंट बनाने के लिए डायरेक्टर अबीर सेनगुप्ता ने बेहूदा और अजीब सीन्स का सहारा क्यों लिया है, समझ से परे है। कुछ सीन ऐसे हैं जो मुद्दे को हल्का करते हैं लेकिन यही अबीर अपना टैलेंट सीरीज के आखिरी एपिसोड में दिखाते हैं जो वास्तव में तारीफ के काबिल बना है। अदा शर्मा हमेशा की तरह बेहद खूबसूरत लगी हैं और जब उनके किरदार के स्टैंड लेने की बारी आती है तो वह अपने किरदार के साथ न्याय भी करती हैं। यह सीरीज पूरी तरह अदा शर्मा की है, यह कहना गलत नहीं होगा। अदा शर्मा के कोर्ट सीन बहुत अच्छे बन पड़े हैं। नवीन कस्तूरिया एक अच्छे कलाकार हैं और वह पहले कई सीरीज में अपना टैलेंट साबित कर चुके हैं लेकिन इस सीरीज में उनके रोमू के किरदार को उतनी डेफ्थ नहीं दी गई है जितनी मिलनी चाहिए थी। हां, एक किरदार को मेंशन करना बहुत जरूरी है और वह हैं रोमू की मां (अल्का अमीन)। बिंदास मां और आखिरी एपिसोड में एक सेंसिटिव महिला के किरदार में यह आपका दिल जीत लेती हैं। बाकी वकील के किरदार में हितेन तेजवानी हैं जो ओवर ड्रमैटिक टाइप लगते हैं। कुल मिलाकर जेंडर सेंसिटाइजेशन पर भले ही आपको कहीं-कहीं यह हल्की सीरीज लगे लेकिन लास्ट एपिसोड में यह आपको कहीं न कहीं संतुष्ट कर ही देती है। क्यों देखें: जेंडर सेंसिटाइजेशन केवल समाज नहीं बल्कि हम सभी की जरूरत है। अगर हम समाज में रहने वाले दूसरे लोगों को नहीं समझते हैं तो कहीं न कहीं उनके साथ अन्याय करते हैं। देख लीजिए, कुछ जाएगा नहीं।


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