डैनी डेन्जोंगपा आज 25 फरवरी को अपना 73वां जन्मदिन सेलिब्रेट कर रहे हैं। बॉलीवुड के दमदार खलनायकों में से एक डैनी को आज भी लगता है कि उन्हें वैसे रोल्स नहीं मिले जो वह निभाना चाहते थे। हाल ही में डैनी ने outlookindia से हुई बातचीत में करियर को लेकर अपना यह अफसोस जताया। डैनी ने साल 1971 में फिल्म 'मेरे अपने' से अपनी फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। डैनी म्यूजिक सीखना चाहते थे और उन्हें लग रहा था कि वह सिंगर बनेंगे। लेकिन जब वह फिल्म इंस्टिट्यूट में पहुंचे तो उन्हें महसूस हुआ कि म्यूजिक ऐक्टिंग का ही एक हिस्सा था। उन्होंने बताया, 'फिल्ममेकर्स ने उन सब्जेक्ट्स पर फिल्में बनाईं, जिनमें मैं फिट नहीं था। किसी तरह मुझे गुलजार साहब की फिल्म मेरे अपने में ऐक्ट करने का मौका मिला, जो उन कई फिल्मों में से एक है जिसमें मुझे बिना किसी बैक स्टोरी के एक आम इंडियन की तरह कास्ट किया गया था। इसके बाद बीआर चोपड़ा की 1973 में आई फिल्म 'धुंध' ने मुझे स्टार बना दिया। इसके बाद फिल्ममेकर्स मिलने और बिछड़ने वाली फिल्में बनाने लगे। मैं इन फिल्मों में फिट नहीं बैठता था क्योंकि मेरी शक्ल किसी के बाप या बेटे से नहीं मिलती थी। इसलिए मैंने उनमें से कई ऑफर्स को स्वीकार नहीं किया। डैनी ने बताया कि इसके बाद एनएन सिप्पी ने उन्हें 1976 में 'फकीरा' में रोल दिया, जिसमें उन्हें शशि कपूर के भाई का रोल निभाना था और यह गोल्डन जुबली हिट रही। इस फिल्म को करने के बाद उन्होंने महसूस किया कि जब पब्लिक एक बार आपको एक्सेप्ट कर लेती है तो वह आपको किसी भी रोल में एक्सेप्ट करेगी। इसके बाद से ही वह हर किसी के भाई और पिता का रोल करने लगे। हालांकि, डैनी का मानना है कि वह बतौर ऐक्टर जिस हक के दावेदार थे वह उन्हें नहीं मिला। उनका कहना है कि उन्हें वैसे रोल मिले ही नहीं जो उन्हें चाहिए थे। मैंने साल 2007 में फिल्म 'फ्रोजन' की जिसमें एक बाप-बेटे की कहानी थी और अच्छआ सब्जेक्ट था, लेकिन यह कमर्शियली अच्छी नहीं रही। मुझे आज भी इटरेस्टिंग रोल का इंतजार है।
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